• बिना गृहस्वामी के इज़ाजत के बगैर घर की तलाशी लेना
• मुसहर-भुइयां टोली में रहने वाला सब इंसान शराबी नहीं होता है
• बंद और सुनसान घर से पुलिसकर्मी कीमती ज़ेवर, रुपया पैसा और बर्तन की चोरी करते हैं
आज (21.11.2024) करीब 4 बजे शाम को मैं अपने निकट सम्बन्धी के घर गया हुआ था. वे हमारे स्वजातीय (मुसहर) हीं हैं. उनका घर मुसहर टोली के बीच में है. संयोग से घर के लोग किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे. घर में एक पुरुष सज्जन मौज़ूद थे. जब मैं वहां गया तो वे मेरे लिए नाश्ता लाने के लिए पास के नुक्कड़ पर चले गए. मैं घर में हीं बैठा था.
अचानक से एक अज़नबी इंसान घर में प्रवेश कर चोरों की तरह ताकने-झाकने लगा. मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैंने उनसे पूछा की आप इस तरह बिना अनुमति के घर में घुंस कर क्या चोरों की तरह इधर-उधर तांक-झांक कर रहे हैं. इस पर उसने मेरे ऊपर मुज़रिम वाला लुक दिया और बिना कुछ कहे घर से बाहर निकल गया. मैं भी उसके पीछे-पीछे घर के दरवाज़े तक आया. जब मैं बाहर आया तो देखा कि कई पुलिसकर्मी बाहर खड़े हैं. 2-3 मज़दूर भी पुलिसकर्मी के साथ था. मैं दरवाज़े पर खड़ा हो गया. तब तक मज़दूर लोग बोलने लगा कि सर इस घर में शराब बनता है. तब एक पुलिसकर्मी ने कहा कि तलाशी लो घर का. इतना बोलते हीं दोनों मज़दूर घर में घुंस गया और सभी घरों को अच्छी तरह से तलाशी लिया. मैं दरवाज़े पर हीं खड़ा रहा.
मैं जब दरवाज़े पर खड़ा था तो कोई भी पुलिसकर्मी घर में घुंस कर तलाशी लेने की इज़ाजत नहीं ली और नहीं दोनों मज़दूरों ने इज़ाजत लेना जरुरी समझा. जैसे हीं पुलिसकर्मी ने बोला कि तलाशी लो घर का तो मजदूरों ने घर में ऐसे प्रवेश किया जैसे आज उसे कुबेर का खज़ाना हांथ लगने वाला है. बारी-बारी से एक-एक घर की तलाशी लेकर वापस निकल गया लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला.
जब तक घर का तलाशी होता रहा तब तक मैं दरवाज़े पर हीं अन्य पुलिसकर्मी के साथ खड़ा था. पुलिस वाले मुझे ऐसे लुक दे रहे थे कि मानो मैं बहुत बड़ा शराब का तस्कर हूं. कुछ देर बाद दोनों मज़दूर बाहर आकर बोला कि सर कुछ नहीं है घर में. तब पुलिसकर्मी के मुख-मंडल पर एक कुटिल मुस्कान दौड़ी और मुरझा गया. फिर एक पुलिसकर्मी ने कहा कि इस (मेरा) आदमी का मुंह सूंघो. बिना कुछ सोंचे-समझे एक मज़दूर टाइप आदमी मेरा मुंह सुंघा और कहा कि शराब नहीं पिये हुए है. पुलिसकर्मी एक हतासा वाला मुंह बनाया और मेरे पास से चला गया.
यहाँ अब दो सवाल है :–
पहला - क्या किसी भी मुसहर-भुइयां के घर में बिहार में लागु शराबबंदी कानून की आड़ में पुलिसकर्मियों को बिना गृहस्वामी की इज़ाजत के बगैर घर में घुंसने की इज़ाजत देता है? अगर ऐसा है तो ये मुसहर-भुइयां जाति के लिए यह काला कानून है और इसमें पिछले 8 साल से मुसहर-भुइयां पिस रहे हैं. Google के अनुसार बीते 8 साल में 8.43 लाख से अधिक FIR दर्ज किये गए हैं. 12 लाख 79 हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की गई है. इनमें 5 लाख से अधिक केस में सजा भी हुई है. 3 करोड़ 46 लाख लीटर शराब की बरामदगी की गई है. 266 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई. एक अनुमान के अनुसार करीब 5 लाख मुसहर-भुइयां जाति के लोगों की गिरफ्तारी की गई हैं.
दूसरा – क्या मुसहर-भुइयां जाति के घर में रहने वाले सभी शराबी होते हैं? जैसा कि पुलिसकर्मियों ने एक अदना सा मज़दूर को हुक्म दिया कि इस आदमी (मेरा) को मुंह सूंघो. पुलिसकर्मियों को मुंह सूंघने की भी आज़ादी बिहार में लागु शराब बंदी कानून इज़ाजत देता है क्या? अगर ऐसा है तो ये भी एक सभ्य और प्रगतिशील समाज़ के मुंह पर कालिख है. अगर कानून में यह प्रावधान नहीं है तो फिर ऐसे पुलिसकर्मियों के लिए कोई Code of Conduct है कि नहीं. इसकी निगरानी कौन करता है? ज्यादातर ऐसे मामले की तो रिपोर्टिंग भी नहीं होती है.
मैं ये लिखने वाला कौन हूं:-
मैं उमेश मांझी हूं. मैं मुसहर-भुइयां समाज का एक सदस्य हूं. मैंने Master in Social Work की पढ़ाई भारत के एक प्रतिष्ठित संस्थान से किया है. मैं अपने जीवन का 50 वर्ष पूरा करने जा रहा हूं. जब से होश संभाला है तब से मैं आज तक हर प्रकार के नशा से दूर रहा हूं. पान, बीड़ी, सिगरेट, खैनी, तम्बाकु, शराब सहित सभी प्रकार के नशे को आज तक हाँथ नहीं लगाया है. ऐसा नहीं है कि मैंने कोई पंथ अपना लिया है या कोई कसम खा ली है या मैं साधु बन गया हूं. मैंने बचपन में हीं अपने आप से वादा किया है कि मैं अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करुंगा. ये मेरा मेरे जीवन के प्रति दृढ़ इच्छा और संकल्प है. हालांकि बहुत सारे लोगों को मेरे इस बात पर विश्वास नहीं होगा लेकिन यही सत्य है.
एक उदहारण मैं देना चाहता हूं. Christian Medical College, Vellore में Surgery के लिए एनिस्थिसिया का टेस्ट लेने वाला Doctor ने जब मुझसे पूछा कि क्या आप किसी प्रकार का नशा करते हैं? मैंने कहा कि नहीं. मेरे इस बात पर उसने थोड़ा सा भी विश्वास नहीं किया. मेरी पत्नी मेरे पीछे खड़ी थी. Doctor ने मेरी पत्नी से भी पूछा. उसने भी यही कहा की नशा नहीं लेते हैं. तब डॉक्टर अपना सर का बाल नोचने लगा.
बिहार में लागु शराबबंदी कानून से मुसहर-भुइयां समाज त्रस्त है. कई जगह से खबरे आ रही है कि जब कभी भी मुसहर-भुइयां टोली में शराब तलाशी के लिए पुलिस आती है, बंद तथा सुनसान घर देखकर घुंस जाती है. घर के आलमारी और बक्सा तोड़ कर उसमें रखा कीमती ज़ेवर, रुपया-पैसा और बर्तन लेकर चली जाती है. घर में घुंस कर तलाशी लेने का कोई समय भी तय नहीं है. जब भी मन करता है तभी तलाशी शुरू हो जाती है. दिन हो या रात. सुबह हो या शाम. लोग घर में रहे या न रहे. महिलाये बैठी हैं या सोयी है कोई फर्क नहीं पड़ता है. कहने को तो महिला पुलिस भी साथ रहती है लेकिन वो आगे नहीं होती हैं. घर में शराब मिले या ना मिले जिसे मन किया उसे पकड़ कर शराब चढ़ा कर जेल भेज दिया. कई जगह तो पढ़ने-लिखने वाला लड़कों को भी भे जेल भेज दिया गया है.
पिछले दिनों तो पटना उच्च न्यायालय ने भी कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून फेल है. इससे गरीब लोग पिस रहे हैं. ऐसे में मुसहर-भुइयां समाज कैसे समाज के मुख्य धारा से जुड़ेगा?